औरंगाबाद। आगमी 11 फरवरी को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शुकुल राम एवं अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संतोष कुमार के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कॉन्फ्रेंस हॉल में सदर अनुमण्डल के सभी थानाध्यक्षों के साथ बैठक की।
इस दौरान थानाध्यक्षों के द्वारा उनके स्तर से मामलों को चिंहित कर अपने अपने थाना क्षेत्र में लोक अदालत के सबंध में जागरूक कर अधिक से अधिक मामलों के निष्पादन करवाने हेतु प्रेरित किया गया।
सचिव ने थानाध्यक्षों को कहा कि प्राधिकार ने विभिन्न न्यायालयों में लंबित सुलहनीय वादों की सूची थानावार तैयार की है जिसको आप लोगों को उपलब्ध कराई जा रही है जिनमें बहुत सारे ऐसे मामले है जो दशकों पुराने है जिसको थोड़ा प्रयास से खत्म किया जा सकता है जिसमें आपकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। उक्त मामलो में पक्षकारों से सम्पर्क स्थापित कर उन्हें प्रोत्साहित करें कि उक्त मामलों को खत्म कर भाई चारे प्रेम के वातावरण और विवाद मुक्त समाज बनाने में प्रशासन का सहयोग करें। साथ ही आप अपने थाना स्तर पर ध्यान दें कि लोक अदालत के संबंध में निर्गत नोटिस को पक्षकारों तक समयानुसार पहुंच जाये।
साथ ही वे राष्ट्रीय लोक अदालत के सफलता में महत्वपूर्ण कड़ी हैं अतः लोक अदालत की सफलता हेतु थानाध्यक्ष अपने स्तर से भी लोगो को जागरूक करें जिसमें स्थनीय स्तर के जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अधीनस्थ कर्मचारियों का मदद प्राप्त कर पक्षकारों को उनके वादों के राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारण करवाने हेतु जागरूक करें।
बैठक में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शुकुल राम ने थानाध्यक्षों को कहा कि लोक अदालत से संबंधित जितनी भी नोटिस न्यायालय एवं प्राधिकार से भेजी जा रही है उन्हें ससमय पक्षकारों तक पहुंचे इसकी निगरानी स्वयं थानाध्यक्ष खुद करेंगे तो नोटिस तमिल समय से हो जाएगा। थानाध्यक्ष लोक अदालत की सफलता एवं वादों को लोक अदालत में निस्तारण हेतु खुद लोगों को प्रेरित करें तो लोक अदालत में रिकॉर्ड वादों का निस्तारण हो जाएगा। साथ ही थाना क्षेत्र सुलहनिय विवाद से मुक्त भी होगा जिससे लोगों में लोक अदालत के प्रति लोगों में जागरूकता आएंगी।
साथ ही पुलिस की छवि लोगो के बीच विवाद सुलझाने में सहायक वाली होगी। बैठक में यह भी निर्देश दिया गया कि थानाध्यक्ष अपने इलाके के जनप्रतिनिधियों को बुलाकर लोक अदालत के संबंध में उन्हें जागरूक करें, ताकि वह अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर अन्य लोगों को भी लोक अदालत के लिए जागरूक कर अपने गांव मुहल्ले को विवाद मुक्त बनाये।