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पासियों को गिरफ्तार कर रही हैं पुलिस, नीरा बनाने और बेचने के लिए भी किया जा रहा हैं परेशान 

ताड़ी पर नहीं, पासी समाज के जीने के अधिकार पर प्रतिबंध

औरंगाबाद। प्राचीन काल से अधिकांश पासी परिवार ताड़ी बिक्री से होने वाली आय पर निर्भर हैं जिससे इनका आजीविका चलाता है। पासी समाज का ताड़ी उतारना बेचना इनका पुस्तैनी धंधा रहा है लेकिन बिना वैकल्पिक व्यवस्था के सरकार ने इनका रोजगार छीन लिया गया। यह उक्त बातें ज़िला मुख्यालय स्थित वार्ड नंबर 31 अंतर्गत चौधरी नगर निवासी भीम चौधरी, हीरालाल चौधरी, मुन्ना चौधरी एवं सुजीत चौधरी ने कहा है।

आगे उन्होंने कहा कि प्रदेश में नीरा के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। फिर भी पुलिस शराब और ताड़ी पर प्रतिबंध की आड़ में पासी समुदाय के लोगों से रंगदारी वसूल रही है। सीएम नीतीश कुमार खुद नीरा के उत्पादन को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं, लेकिन उनकी पुलिस ताड़ी बेचने के आरोप में पासी समुदाय के गरीब लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज रही है।

उन्होंने कहा कि प्रतिबंध ताड़ी पर नहीं, एक समाज विशेष के जीवन जीने के अधिकार पर लगाया गया है।पासी समाज के ऊपर अत्याचार किया जा रहा है। पुलिस छोटे-छोटे बच्चे और जवान लड़कियों को जबरन गिरफ्तार कर जेल भेज रही है। कहा कि पुलिस जबरन घर में घुसकर ताड़ी बेचने के आरोप में महिलाएं व अन्य लोगों के साथ मारपीट कर रही है। यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि ताड़ी बेचना हमारा पेशा है। इसी से रोजी- रोजगार चलता है। सरकार इसपर रोक ना लगाये। यह पासी समाज के मौलिक अधिकार का हनन है। समाज के लोगों के सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल पासी समाज के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए प्रयास करें। ताकि ताड़ी बेचकर वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा व अन्य सुविधाएं दे सके।

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