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मशरूम की खेती से किसान ने बनाई अलग पहचान, युवाओं के लिए बने प्रेरणा और मिसाल

कम लागत में मशरूम की खेती से विशाल कर रहे हैं अच्छी आमदनी

इच्छुक किसान इनसे मशरूम की खेती का प्राप्त कर सकते हैं प्रशिक्षण

मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। कृषि प्रधान देश में जहां लोग खेती को घाटे का सौदा मानकर अपने आप को बेरोजगार महसूस कर रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ औरंगाबाद ज़िले के सर्वोदय नगर के किसान विशाल कुमार सिंह दूसरों के लिये प्रेरणा व मिसाल बन रहे हैं। मशरूम की खेती के सहारे उन्होंने एक अलग पहचान बनाई है। बता दें कि मशरूम की खेती आज जहां लोगों की आजीविका का एक मजबूत स्रोत बनता जा रहा हैं। वहीं इसका रोज़गार के क्षेत्र में असिमित संभावनाएं हैं। युवा वर्ग यदि चाहें तो इससे आत्मनिर्भर बन सकते है।

हालांकि इस बीच आइए जानते हैं किसान विशाल कुमार सिंह की कहानी: फिलहाल उन्होंने अपने घर में हर मौसम में आपूर्ति के लिए वातानुकूलित तकनीकी रूप से मशरूम फार्म स्थापित कर एक मिसाल कायम की है जिससे उनकी कमाई लाखों तो नहीं कह सकता लेकीन शुरूआत काफी दमदार हैं जिससे वे अच्छी मुनाफा कमा रहे हैं। जो समय के साथ सफलता की असीम संभावनाएं हैं। वैसे कहां जाता है हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा। यानी आप हिम्मत दिखाएं तो खुदा भी मदद करेगा।

उनकी सफलता की कहानी:

तकनिकि रूप से तैयार वातानुकूलित मशरूम फार्म कैसे शुरू किया। श्री सिंह का कहना हैं। वे एलएनटी में वे जॉब करते थे लेकिन पिछले लॉकडाउन में घर आने के बाद कोरोना संक्रमण के कारण कहीं बाहर नहीं जा सके और इसी क्रम में उनका एक मित्र ने मशरूम की खेती का सुझाव दिया।

वैसे श्री सिंह की ने एमबीए का पढ़ाई की है। उनका कहना है कि दोस्त की प्रेरणा और कृषि विभाग के सहयोग से मशरूम की खेती के लिए एक नई तकनीक विकसित की है। उन्होंने पुआल, गेहूं की भूसी और एयर कंडीशनर का उपयोग करके इन हाउस मशरूम उत्पादन के लिए एक इकाई की स्थापना की है। शुरूआत में उन्होंने एक हजार बैग बटन मशरूम लगाएं हैं जिसके उत्पाद से प्रतिदिन अच्छी कमाई कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ता बल्कि घर से ही हाथोहाथ बिक जाता है।

कहा कि मशरूम की खेती कर किसान बेहतर लाभ पा सकते हैं। कम जगह में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। अधिक आमदनी कृषक मशरूम लगाकर ले सकते हैं।

अब किसी भी मौैसम में कर सकते है मशरूम की खेती :

श्री सिंह ने माने तो मशरूम तो आमतौर पर सर्दियों की फसल है। लेकिन इस इस तकनीक का उपयोग करके किसान किसी भी मौसम में इसका उत्पादन कर सकते हैं। चूंकि, इस तकनीक से मशरूम के पौधों के लिए उपयुक्त तापमान मुहैया कराया जा सकता है। इससे किसानों के मन में आगे नुकसान होने की शंका भी खत्म हो जाती है।

श्री सिंह के मुताबिक मशरूम की खेती करने में पूरे 2 माह लगते हैं। मशरूम की बढ़ती मांगा को लेकर ज़िले में मशरूम की खेती के प्रति किसानों का आकर्षण अब बढ़ने लगा है। ऐसे उन्होंने इच्छुक व्यक्तियों को प्रेरित करते हुये उन्होंने कहा कि जो मशरूम की खेती करना चाहते हैं, वे निसंकोच सम्पर्क कर संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते है।

कैसे करें मशरूम की खेती: 

मशरूम की खेती आप अपने घर से भी शुरू कर सकते हैं।  ध्यान रखें जगह ऐसी हो जहां सूरज की रोशनी ना पहुंचती हो, अन्यथा मशरूम का पौधा खराब हो जाएगा। उसके बाद आपको पानी में भीगा हुआ भूसा तैयार करना होगा। भूसा तैयार होने के बाद आपको पॉलिथीन में उचित मात्रा में भूसे और मशरूम बीज को ऐसे बांध कर रखना है जिससे हवा किसी तरह से पास ना हो सके।

पोषक एवं स्वास्थ्यवर्धक है मशरूम

मशरूम में उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन होने के साथ साथ कुपोषण का निवारक होता है। साथ ही इसमें स्टार्च, कोलेस्ट्राल रहित कम सुक्रेाज पाया जाता है। इससे पाचन क्रिया में सुधार के साथ साथ फोलिक एसिड, विटामिन बी एवं खनिज लवण का प्रचुर भंडार है। ऐसे में मशरूम के उत्पाद को विदेषी पर्यटक एवं पढे लिखे लोग अधिक पसंद करते हैं।

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