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समेकित बाल संरक्षण योजना अन्तर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं की हुई समीक्षा

मगध हेडलाइंस: सदर (औरंगाबाद)। समेकित बाल संरक्षण योजना के मूल्यांकन, अनुश्रवण, निगरानी कार्य योजना निर्माण तथा कार्यान्वयन परामर्शन के लिए जिला स्तर की मौलिक इकाई के रूप में जिला परिषद अध्यक्ष प्रमिला देवी की अध्यक्षता एवं जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल की सह अध्यक्षता में गठित जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक को समाहरणालय सभागार में आयोजित की गई। बैठक के दौरान समेकित बाल संरक्षण योजना अन्तर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई।

परवरिश योजना इस योजना का लाभ लेने हेतु निम्न पात्रता का होना अनिवार्य है अनाथ एवं बेसहारा बच्चे जो अपने निकटतम संबंधी अथवा रिश्तेदार के साथ रहते पी० / एडस / कुष्ठ रोग से ग्रसित बच्चे एच० आई० वी० / एडस से पीड़ित माता/पिता के बच्चे, एच० आई० कुष्ठ रोग के कारण ग्रेट ॥ से पीडित माता/पिता के बच्चे जिनकी आयु 18 वर्ष से कम हो अथवा उनकी वार्षिक आय 60,000/- रूपये से कम हो इस तरह के बच्चे को प्रतिमाह 1000/- रुपया 18 वर्ष की आयु तक दिया जाता है औरंगाबाद जिले 182 लाभुकों को परवरिश योजना का लाभ दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत बी०पी०एल० परिवार अथवा ऐसे अन्य परिवार जिनकी आय 60,000/- ( साठ हजार रुपये तक हो की कन्या के विवाह के समय 5000/- (पाँच हजार रुपये राशि का भुगतान कन्या के खाते में डीबीटी के द्वारा किया जाता है। इस योजना अन्तर्गत प्रखण्ड विकास पदाधिकारी द्वारा अनुदान राशि की स्वीकृति प्रदान की जाती है। जिला द्वारा कुल 3880 लाभुकों का डाटा सत्यापित किया गया है जिसमें से विभाग द्वारा 2347 लाभुकों को सफलता पूर्वक भुगतान किया जा चुका है। पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन योजना कोविठ-19 महामारी से अनाथ बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जाना है। इस जिला अन्तर्गत वर्तमान में 03 लाभाचियों को इस योजना से जिला पदाधिकारी के स्वीकृति के उपरांत लाभ प्रदान किया जा रहा है। आम के तहत बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य पोषण समग्र विकासात्मक पहलू का ध्यान रखा जाना है। जिला पदाधिकारी के साथ खोले गये संयुक्त खाते में 10 लाख रुपये की राशि जमा किया जाना है जो बच्चों की आयु 23 वर्ष होने पर निकाला जा सकेगा।

बाल सहायता योजना कोविड-19 महामारी से अनाथ हुए तीन बच्चों को बिहार सरकार द्वारा संचालित बाल सहायता योजना के अन्तर्गत पोषण हेतु 1500 रुपये प्रतिमाह अनुदान राशि अभिभावक के साथ खेले गये संयुक्त खाते में राज्य बाल संरक्षण समिति द्वारा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है।

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प्रायोजन एवं पालन-पोषण देखरेख के अन्तर्गत बालक को चिकित्सीय शैक्षणिक एवं विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परिवारों को वित्तीय या अन्य पूरक सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। एक बार में लाभुक को तीन वर्ष तक के लिए लाभ (2000 रुपये) दिये जाने का प्रायोजन एवं पालन-पोषण देखरेख का लाभ लेने हेतु निम्न पात्रता का होना अनिवार्य है। प्रवर्तकता ऐसे बच्चों के परिवार को दिया जायेगा जो परिवार बीपीएल समूह में हो या जिनकी वार्षिक आय 60,000/-(साठ हजार) रूपये से कम हो एवं निम्न श्रेणी के अन्तर्गत आते हो, विधवा / तलाकशुदा / परित्यक्त महिला के बच्चे, अनाथ बच्चे जो अपने निकटतम संबंधी के पास रह रहे हैं। अभिभावक (कमाऊ सदस्य) जो गंभीर बीमारी से पीड़ित हो, अभिभावक (कमाऊ सदस्य) जो मानसिक अस्वस्थता अथवा दुर्घटना के कारण बच्चों की वित्तीय एवं भौतिक आवश्यकता / देखभाल करने में सक्षम न हो। अभिभावक (कमाऊ सदस्य) जो जेल में बंद हैं एवं दूसरे अभिभावक बेरोजगार है। किशोर न्याय परिषद के सदस्य द्वारा वहाँ पर चल रहे विधि विवादित किशोरों से संबंधित मामलों की जानकारी दी गई। अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति द्वारा उक्त समिति के समक्ष देखरेख एवं संरक्षण की जरुरत वाले बच्चों के मामलों की जानकारी दी गई। वर्तमान सुरक्षित स्थान, औरंगाबाद में 11 विभिन्न जिलों के विधि विवादित किशोरों को आवासन, पोषण, शिक्षा, खेल-कूद आदि की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। जिला पदाधिकारी द्वारा पुलिस उपाधीक्षक (मु०) से जिले के सभी थानों में बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी का मनोनयन करवाकर विधि विवादित किशोरों के मामलों को किशोर न्याय परिषद के समक्ष एवं देख-रेख एवं संरक्षण के जरुरतमंद किशोरों के मामलों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करवाने का निदेश दिया गया। लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधि० (POCSO) के तहत दर्ज मामलों में पीड़िता की जानकारी बाल कल्याण समिति के समक्ष आवश्यक रूप से प्रस्तुत करवाने का निदेश दिया गया। बच्चों को शराब, तम्बाकू उत्पाद एवं नशीले पदार्थ बिक्री करने वाले अथवा उपलब्ध कराने वाले के उपर किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 77 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया जिसके तहत दोषी को 7 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक की जुर्माने का प्रावधान है। बच्चों से शराब, तम्बाकू उत्पाद एवं नशीले पदार्थ की तस्करी करवाने वाले के उपर किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 78 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया जिसके तहत दोषी को 7 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये तक की जुर्माने का प्रावधान है। शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दूरी के अंदर सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पादों के बिक्री की सख्त मनाही है से संबंधित बोर्ड को सुनिश्चित करवाने का निर्देश जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिया गया। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा दिये गये निदेश के आलोक में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 एंड रूल्स 1945 में अनुसूची एच एवं एक्स में वर्णित दवा बच्चों को बिक्री न करने उक्त दवा को बेचने वाले दवा दुकान में सीसीटीवी कैमरा का अधिष्ठापन एवं दवा के स्टॉक्स का डिजिटाइजेशन करवाने का निदेश जिला सिविल सर्जन को दिया गया। बाल श्रम को रोकने हेतु समय-समय पर होटल, रेस्टोरेन्ट, ईंट भट्टा आदि जगहों पर धावा दल के द्वारा निरीक्षण सुनिश्चित कराने का निदेश श्रम अधीक्षक को दिया गया।

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