– मिथिलेश कुमार –
मगध हेडलाइंस: अम्बा (औरंगाबाद)। मातृत्व वंदना योजना के तहत लगने वाले शिविर में कुटुंबा रेफरल अस्पताल प्रबंधन मरीजों को मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इस योजना के तहत प्रत्येक माह की नौ तारीख को अस्पताल परिसर में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की जाती है और रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर उन्हें दवा और सलाह देते हैं। शुक्रवार को अस्पताल परिसर में शिविर का आयोजन किया गया जिसमें गर्भवती महिलाएं एवं परिजन पानी पीने के इधर-उधर भटकते रहें वहीं उन्हें धूप से बचने के लिए पेड़ का सहारा लेना पड़ा।
देवरिया गांव की रहने वाली सुनीता कुमारी ने बताया कि अपनी गर्भवती बहन का जांच कराने के लिए सुबह दस बजे आ गई थी लेकिन दो बजे तक भी उनकी बहन का इलाज नहीं हो पाया है। नियमानुसार अस्पताल प्रबंधन को शिविर में पहुंची गर्भवती महिलाओं को नाश्ता देने का प्रावधान है। जबकि अस्पताल प्रबंधन के द्वारा नाश्ता नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं के निर्देश पर जांच के लिए गर्भवती महिलाओं को खाली पेट आना पड़ता है। इलाज में देरी होने के कारण गर्भवती महिलाओं को लंबे समय तक भूखा रहना पड़ता है। जिसके कारण बच्चे एवं गर्भवती महिला के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अस्पताल प्रबंधन के द्वारा न तो पंडाल लगाया गया है और न ही बैठने की व्यवस्था की गई है। ऐसे में लोग फर्श पर बैठने तथा धूप से बचने के लिए पेड़ का सहारा लेने के लिए मजबूर हैं।
शिविर के दौरान गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए आपस में धक्का-मुक्की करती दिखीं। डॉक्टर के रूम के बाहर सैकड़ों गर्भवती महिलाओं की भीड़ पहले इलाज कराने के लिए धक्का-मुक्की कर रही थी। इस दौरान पुरुष गार्ड द्वारा जबरन उन्हें रोकने का प्रयास किया जा रहा था। उन्हें रोकने के लिए गार्ड को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही थी। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना थी। गौरतलब है कि शिविर के आयोजन एवं मरीजों की सहूलियत के लिए सरकार अस्पताल प्रबंधन को विशेष फंड मुहैया कराती है। उस फंड को अधिकारी डकार जाते हैं और मरीजों को अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है।
अस्पताल प्रबंधक ने क्या कहा ..
इस समस्या की जानकारी के लिए फोन द्वारा संपर्क स्थापित करने पर अस्पताल प्रबंधक प्रफुल्ल कांत कुमार ने बताया कि मैंने 24 मार्च को ड्यूटी ज्वाइन की थी परंतु अभी तक मुझे चार्ज नहीं दिया गया है। इस संबंध में उन्होंने सिविल सर्जन एवं जिला पदाधिकारी को भी आवेदन दिया है। आवेदन दिए हुए 20 से 25 दिन बीत गए परंतु अभी तक अधिकारियों द्वारा कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। अभी अस्पताल प्रबंधन का प्रभार दीपक कुमार सिंह को दिया गया है। शिविर से संबंधित जानकारी वही देंगे। इस संबंध में दीपक सिंह से बात करने का प्रयास किया गया परंतु संपर्क स्थापित नहीं हो सका।