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हम किसी मुकाबले से नहीं डरते, चिंता बस उन गरीबों की हैं जो सरकार की मनमानी के शिकार होने वाले हैं : शाखा प्रबंधक

बैंक हड़ताल से 200 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

सरकार के खिलाफ बैंक कर्मचारियों का हल्लाबोल, निजीकरण का कर रहे विरोध

औरंगाबाद। बैंकों के निजीकरण के खिलाफ विभिन्न मांगों को लेकर युनाईटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के आह्वान पर गुरूवार से दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल जारी हैं। उल्लेखनीय हैं कि देश का हर नागरिक किसी न किसी रूप में बैंक से जुड़ा हुआ है। अगर आप बैंक में जाने की सोच रहे हैं तो दो दिन रुक जाएं। 16 और 17 दिसंबर को बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इस दौरान बैंक ऑफ बड़ौदा औरंगाबाद के शाखा प्रबंधक ओमप्रकाश कुमार सिंह ने कहा कि सरकार की गलत नीति के कारण लाखों बैंक कर्मियों को मजबूर होकर हड़ताल पर जाना पड़ा। फिर भी यदि सरकार यह दो दिवसीय हड़ताल से हमारी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार नहीं करती हैं और ऐसे ही अड़ियल रवैया अपनाए रखी तो लड़ाई आर-पार की होगी। हम चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। कहा कि सरकार के निजीकरण की नीतियां आने वाले समय में बैंकर्स के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। यदि बैंकों का निजीकरण हुआ तो ग्रामीण शाखाएं बंद हो जाएंगी। सार्वजनिक बचत के लिए अधिक जोखिम, लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कमी और सेवानिवृत्त, वरिष्ठ नागरिकों, पेंशनभोगियों को दिक्कत होगी। इससे देश की 95 फीसदी जनता को नुकसान उठाना पड़ेगा। बैंकों का निजीकरण होगा तो ग्रामीण शाखाएं बंद हो जाएंगी। सार्वजनिक बचत के लिए अधिक जोखिम, लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कमी और सेवानिवृत्त, वरिष्ठ नागरिकों, पेंशनभोगियों को दिक्कत होगी। इससे देश की 95फीसदी जनता को नुकसान उठाना पड़ेगा। बैंकों का निजीकरण हुआ तो देश को बहुत बड़ी क्षति होगी देश का आर्थिक नुकसान होगा। आज महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है सरकार ने बीएसएनएल को खत्म कर दिया एयरपोर्ट का निजीकरण हो रहा है यह लंबी लड़ाई है इसके इसके खिलाफ हमें लड़ना है। केंद्र की सरकार वोटरों को पागल समझती है। कहा कि सरकार विकास पर कोई बात ही नहीं कर रहा है इसलिए मेरी जनता से अपील है कि आप खुद मुद्दों को खड़ा करें यदि बैंकों का निजीकरण हुआ तो देश काफी साल पीछे चले जाएगी। इस देश का विकास यदि कोई कर सकता है वह पब्लिक सेक्टर के बैंक बैंक की कर सकते हैं क्योंकि देश के विकास में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उपभोक्ता रहे परेशान : बैंकों की हड़ताल की वजह से उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। आवश्यक कार्य से अपने खातों से रुपये निकालने की मंशा भी पूरी नहीं हो पा रही है। कई लोगों को पहले ही जानकारी हो चुकी थी लेकिन दिक्कत ग्रामीण इलाकों में अधिक है। जानकारी न होने के कारण उपभोक्ता बैंकों की शाखाओं पहुंचे। वहां जाने के बाद बैंक बंद होने की बात पता चलने पर मायूस होकर वापस लौटना पड़ा।

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