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नहाय-खाय के साथ आज से छठ महापर्व शुरू

  डॉ ओमप्रकाश कुमार 

दाऊदनगर (औरंगाबाद) छठ पर्व सूर्य पूजन का व्रत है। चार दिनों तक सूर्य की उपासना की जाती है और उनकी कृपा का वरदान मांगा जाता है। छठ का व्रत जीवन में सुख और समृद्ध‍ि के लिए और संतान व पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है। दिवाली के ठीक 6 दिन बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है। छठ पर्व को लेकर बाजारों में भी चहल-पहल बढ़ गई है। पूजा सामग्री की खरीदारी को लेकर लोगों की भीड़ बढ़ गई है। नारियल, सूप, फल सहित अन्य सामग्री की बिक्री काफी बढ़ गई है। मालूम हो कि 8 नवंबर से चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो रहा है। पर्व को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारी की जा रही है। सभी प्रखंडों में भी पर्व को लेकर उत्साह का माहौल है। लोक आस्था का महापर्व छठ सोमवार को को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। मंगलवार को खरना और बुधवार को भगवान भास्कर को पहला अ‌र्घ्य अर्पित किया जाएगा। गुरुवार की सुबह भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अ‌र्घ्य अर्पित तथा पारन के साथ पर्व संपन्न हो जाएगा। पर्व को लेकर पवित्रता का खूब ध्यान रखा जा रहा है। व्रती सोननदी, तालाबों व सुविधानुसार स्नान ध्यान कर भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य अर्पित कर भोजन ग्रहण करेंगी। नहाय-खाय के दिन व्रतियां चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर पीतल के बर्तन में अरवा चावल का भात, चना का दाल व कद्दू का सब्जी बनाती हैं। इसके बाद सर्वप्रथम भगवान भास्कर को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में खुद ग्रहण करती हैं। इसके बाद घर के सदस्य व पास-पड़ोस के लोगों को प्रसाद के रूप में बांटती हैं। छठ पूजा से जुड़ी कथा: छठ पूजा की परंपरा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली अनेक पौराणिक और लोक कथाएं प्रचलित हैं। आचार्य पंडित लाल मोहन शास्त्री ने बताया कि एक पौराणिक लोककथा के अनुसार लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुन: अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। ऐसी भी मान्यता है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अ‌र्घ्य देते थे। भगवान सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। आज भी छठ में अ‌र्घ्य दान की यही प्रथा प्रचलित है। दाउदनगर के सूर्य मंदिर तालाब, सोन नदी घाट एवं विभिन्न छठ घाट पर छठ व्रत करने वाले श्रद्धालु नहाए खाए के छठ व्रत का शुरुआत किया।

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