
– मिथिलेश कुमार –
मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। झारखंड के किसानों से प्रेरणा लेकर औरंगाबाद के प्रगतिशील मदन सिंह ने कुसुम की खेती शुरू की, और आज अच्छी आमदनी कर रहे हैं। मदन औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड क्षेत्र के पोली गांव के रहने वाले हैं। आज उनकी प्रेरणा से गांव के अन्य किसान भी कुसुम की खेती कर रहे हैं। मार्केटिंग के लिए भी कही बाहर जाना नहीं पड़ता हैं, लोग एक हजार रूपये प्रति किलो की दर से कुसुम की फूल खरीदते ले जाते हैं। बताया जाता है कि एक पौधे से तीन बार फुल निकलते हैं। जिन्हें तोड़कर छांव में सुखाने के पश्चात बेचा जाता है। कुसुम के बीज का तेल निकाल कर खाने में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं तेल निकालने के बाद बचे हुए खली का पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। उस गांव के छह प्रगतिशील किसान क़रीब दो बीघा में खेती कर रहे हैं। कुसुम के पौधे अक्टूबर – नवंबर माह में लगाए जाते हैं। किसान धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि एक कट्ठा जमीन में कुसुम की खेती लगाने से फूल बेचकर दो हजार रूपये तक की आमदनी हो जाती है। वहीं 25 से 30 किलो तक बीज निकल जाते हैं। जिनसे तेल निकाला जाता है। गांव के मदन सिंह, धर्मेंद्र सिंह, मुन्ना सिंह, उपेंद्र सिंह, उमेश सिंह ने कुसुम की खेती की है। उन्होंने बताया कि कुसुम के खेती में पटवन की समस्या बनी हुई है। वहीं व्यवसायों द्वारा किसानों को फूलों के उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। अन्य रबी फसल के मुकाबले लाभ ज्यादा होने के कारण कुसुम की खेती कर रहे हैं। किसानों ने सरकार से मदद की अपील की है।







