
मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार में वैसे लोग जो अत्यंत ही गरीब वंचित, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिला इत्यादि है जो विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के धारा 12 के अधीन आते हैं, उन्हें उनके वादों में सशक्त एवं बेहतरीन बचाव हेतु गठित की गयी नई प्रणाली के अंतर्गत लोगों को कई तरह के मुफ्त कानूनी सहायता का लाभ प्राप्त हो रहा है। इस संबध में जानकारी देते हुए मुख्य बचाव अधिवक्ता युगेश किशोर पाण्डेय ने बताया कि प्राधिकार अंतगर्त जो विधिक सहायता बचाव परामर्श प्रणाली की शुरूआत जिसकी शुरूआत नवंबर, 2023 में की गयी थी। इसके तहत कई लोगों को सशक्त एवं प्रति स्पर्धात्मक बचाव का लाभ प्राप्त हुआ है और उन्हें वाद से सक्षम एवं मुफ्त बचाव का लाभ दिलाते हुए न सिर्फ रिहा कराते हुए उन्हें वाद से मुक्त कराया गया बल्कि सैकड़ों लोगों को जमानत के साथ-साथ उनके वाद में बचाव का कार्य किया जा रहा है।
अभी हाल के एक ताजा मामले का जिक्र करते हुए उनके द्वारा बताया गया कि प्राधिकार के द्वारा कारा में बंदी आवेदन के तहत बारूण थाना की एक कांड के बंदी रोहतास जिले के नासरीगंज थाना क्षेत्र अमियावर गांव निवासी सुरेश रजवार मंडल कारा औरंगाबाद में संसीमिति थे परंतु परिजन के अभाव में उनके वाद में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी और प्राधिकार के कार्यालय में इस बात की जानकारी होने पर तत्काल उसके वाद को विधिक सहायता बचाव प्रणाली को इसपर कार्रवाई हेतु भेजा गया था जिसपर सहायक बचाव अधिवक्ता रंधीर कुमार को प्रति नियुक्त करते हुए जमानत एवं वाद हेतु निदेशित किया गया था जिसपर प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी के द्वारा जमानत खारिज कर दिया गया था तब उस वाद में उपमुख्य बचाव अधिवक्ता अभिनंदन कुमार को प्रतिनियुक्त करते हुए जिला जज के समक्ष जमानत के लिए आवेदन दाखिल किया गया जिसपर सुनवाई के उपरांत 11.09.2024 को बंदी को सशर्त जमानत दी गयी थी परंतु बंदी के कोई परिजन एवं बंदी स्वयं इस अवस्था में नहीं था कि न्यायालय के शर्तो को पुरा कर सके जिसपर पुरी पड़ताल के बाद उपमुख्य बचाव अधिवक्ता द्वारा पुनः जिला जज के न्यायालय में बंदी अभियुक्त के परिस्थिति से सम्बन्धित विस्तृत जानकारी न्यायालय के समक्ष रखते हुए शर्तो में छूट देने की प्रार्थना की गयी थी जिसपर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकार को बंदी अभियुक्त के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर प्रतिवेदित करने हेतु निदेशित किया गया था जिसपर जिला विधिक विधिक सेवा प्राधिकार कई स्तर पर कार्रवाई करते हुए इससे सम्बन्धित प्रतिवेदन प्राप्त कर न्यायालय के समक्ष प्रतिवेदित किया गया जिसपर विस्तृत सुनवाई के उपरांत न्यायालय द्वारा उसे स्वयं के बंध पत्र पर मुक्त करने हेतु आदेश जारी किया तदुपरान्त बंदी को कारा से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया। विदित हो कि उक्त बंदी के परिवार में ऐसा कोई सदस्य नहीं था ना ही उसे कोई आर्थिक संसाधन था। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि वर्ष 2024 से अबतक कारा में संसीमित 135 बंदियों को जमानत का लाभ दिलाते हुए कारा से मुक्ति कराया गया है तथा लगभग 50 से अधिक मामलें में जमानत हेतु कार्रवाई की जा रही है। साथ ही लगभग 10 वादों में कारा में बंद बंदियों को रिहा कराकर उनके वाद से मुक्त कराया गया है।
मुख्य विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता पद पर युगेश किशोर पाण्डेय द्वारा बताया गया कि विधिक सहायता बचाव परामर्श प्रणाली द्वारा मुफ्त एवं प्रतिस्पर्धात्मक बचाव का लाभ बचाव पक्ष को लगातार दिया जा रहा है जिसमें उपमुख्य विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता अभिनन्दन कुमार एवं मुकेश कुमार, सहायक विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता चन्दन कुमार मिश्र एवं रंधीर कुमार के द्वारा कई स्तरों पर तत्परता से कार्य किया जा रहा है।






