मगध हेडलाइंस: दाऊदनगर (औरंगाबाद ) प्रतिमाएं सम्मान का प्रतीक है, हर चौक चौराहों पर किसी न किसी महापुरुष की लगी प्रतिमा हमको उनके कार्यों और बलिदानों को याद कराती है लेकिन बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामबिलास बाबू की प्रतिमा नगर थाना में देखकर गौरवांवित होने की बजाय शर्मिंदगी महसूस हो रही है। यह बात युवा राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव सह भोजपुर जिला प्रभारी अजीत यादव ने एक प्रेस बयान जारी कर कही। श्री यादव ने बताया कि प्रतिमा की दशा को देखकर स्व. रामबिलास बाबू की आत्मा भी यह सोचने को मजबूर हो गई होगी कि आखिर उन्होंने किस समाज की कल्पना को जेहन में रखकर लोगों के लिए लड़ाईयां लड़ी थी। उन्होंने बताया कि वह जिला परिषद के राजनीति में नहीं पड़ना चाहते थे, लेकिन जिस तरह से रामबिलास बाबू के आदम कद प्रतिमा पर राजनीति हो रही हैं, वह कही से उचित नहीं है। इससे समाज शर्मशार हो रही है, यह चिंता का विषय है। सोमवार को आयोजित प्रेस-वार्ता के अनुसार निर्धारित समय अवधि के अंतर्गत प्रतिमा यथास्थान पर स्थापित नहीं होता है तो जिले में चक्का जाम करेंगे। इस घटना से समाजवादी विचारधारा के लोग आक्रोशित हैं। अब यह सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। इसमें समाज के लोगों को भी आगे आना चाहिए और नगर थाना से प्रतिमा अविलंब मुक्त करवाए जाए। रामबिलास बाबू जैसे महान हस्तियों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। ये न केवल औरंगाबाद बल्कि पूरे बिहार के धरोहर रहे हैं। महापुरुषों की प्रतिमाएं, जन-जन की आस्था का प्रतीक होती हैं। इन प्रतिमाओं के प्रति सम्मान रखना और उनकी देखभाल करना, संस्कृति का मूलभूत अंग है। उन्होंने बताया कि रामबिलास बाबू राम मनोहर लोहिया एवं कर्पूरी ठाकुर के समकालीन रहे हैं। वे सात विभागों के मंत्री रहे हैं, उन्होंने सदैव किसान गरीब व मजदूरों की भलाई के लिए अनेकों काम किए हैं। वह सादा जीवन व उच्च विचार का जीवन जीते थे। उन्होंने अपने जीवन में किसी जात की नहीं बल्कि जमात की राजनीति की। वे समाजवादी मूल्यों के लिए सदैव संकल्पित रहे हैं। उनके विचार आज भी अनुकरणीय है।
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