– मिथिलेश कुमार –
मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। सम्राट अशोक बुद्ध विहार कमेटी के द्वारा जगदेव चौक अंबा में चक्रवर्ती समदर्शी अशोक विजयादशमी सह जननायक महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के अध्यक्षता बैद्यनाथ मेहता ने की । शहादत दिवस समारोह में उपस्थित लोगों ने महिषासुर के चित्र पर माल्यार्पण कर, उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया । इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखा गया । वहीं महिषासुर और रावण के जयकारे लगाए गए । इस मौके पर वक्ताओं ने महिषासुर को न्याय करने वाला प्रतापी राजा बताया और देवी दुर्गा द्वारा उसके वध को दलितों पर वर्चस्व स्थापित करने की साजिश बताई गई । वक्ताओं ने कहा कि असुर जनजाति का गलत चरित्र चित्रण किया गया है। उन्होंने कहा कि असुर जनजाति ने ही सबसे पहले लोहे की खोज की थी । महिषासुर असुर जनजाति के महाराजा थे । अब भी झारखंड के पलामू में असुर जनजाति के लोग रहते हैं । जब नवरात्र के दिनों में देश-विदेश में उत्सव मनाया जाता है उसी दौरान असुर जनजाति के लोग नौ दिनों तक दुख और शोक में डूबे रहते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी जनजाति का अपमान नहीं किया जाना चाहिए । दुर्गा पूजा के दौरान महिषासुर का फोटो या मूर्ति को मरते हुए नहीं दिखाया जाना चाहिए । किसी भी महान पुरुष का अपमान नहीं किया जाना चाहिए जिस प्रकार मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, शिव शंकर, कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है, उसी प्रकार दुर्गा पूजा भी मनाई जानी चाहिए । इस प्रकार की प्रतिमा से हिंसा का प्रदर्शन होता है । उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में हिंसा का प्रदर्शन ठीक नहीं है । इस अवसर पर प्रदेश महासचिव बीएसआई बिहार ज्ञान रत्न अनिल प्रियदर्शी, डॉ .बबन सिंह , रामवृक्ष पासवान, सरोज कुमार, विद्यानंद कुमार, रविंद्र कुमार, सिकंदर कुमार मेहता, मथुरा प्रसाद सिंह कुशवाहा, गुप्तेश्वर प्रसाद, वीरेंद्र कुमार मेहता, रघुनाथ बौद्ध, बैजनाथ मेहता, पेरियार सरजू बौद्ध आदि लोग उपस्थित थे ।