मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। 57 साल पुराने मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर के सहयोग से निष्पादित कराया गया। विदित हो कि ज़िले के सिमरी गांव का एक मामला 23-11-1966 को कुटुंबा थाना काण्ड संख्या 96 का मुकदमा न्यायालय के समक्ष आया लेकिन उक्त मुकदमें में प्रोटेस्ट कम्पलेंट के माध्यम से पुनः जी0आर0 1597/77 को दर्ज हुआ। उक्त वाद में न्यायिक प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। विभिन्न न्यायालयों से होते हुए वर्तमान में यह वाद विद्वान न्यायिक दण्डाधिकारी नेहा दयाल के न्यायालय में विचारण हेतु लंबित था तथा उक्त वाद में अभियुक्त रामचन्द्र सिंह, जगनारायण नोनिया, राम दहिन नोनिया एवं सुमी नोनिया के उपस्थिति हेतु लंबे समय से चला आ रहा था तब न्यायिक दण्डाधिकारी ने उक्त वाद की स्थिति को देखते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को पत्र के माध्यम से संबधित अभियुक्तों के खोजबीन तथा संबधित जानकारी उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध किया।
उनके अनुरोध पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार अपने स्तर से पारा विधिक स्वयं सेवक को प्रतिनियुक्त करते हुए पत्र में अंकित पते पर पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए और उनको वाद के संबध में बताने हेतु भेजा तो जानकारी प्राप्त हुआ कि उक्त सभी अभियुक्त का वर्षो पूर्व मृत्यु हो गयी है, तब संबधित पारा विधिक स्वयं सेवक ने तत्काल जानकारी प्राधिकार को दिया जिसपर प्राधिकार के निर्देश के आलोक में सम्बन्धित अभियुक्तों के पंचायत के मुखिया से उक्त सम्बन्ध में प्रमाण-पत्र प्राप्त करने हेतु निदेशित किया तथा मृत्यु से सम्बन्धित कागजात उनके परिवार वालों से प्राप्त करने हेतु निदेशित किया जिसपर परिवार वालों के द्वारा मृत्यु संबधित कागजात काफी पुराना मामला होने के कारण असमर्थता प्रकट किया गया तब संबधित पारा विधिक स्वयं सेवक के द्वारा संबधित मुखिया से लिखित रूप से प्रमाण-पत्र प्राप्त किया गया जिसपर विस्तृत जानकारी प्राधिकार ने संबधित न्यायालय को दिया तब संबधित न्यायालय के द्वारा उक्त वाद को अभियुक्तों के मृत्यु होने सम्बन्धी प्राप्त सूचना पर 57 साल पुराने मामले जो न्यायालय में 40 वर्षो से जानकारी के अभाव में लंबित थे। प्राधिकार द्वारा किये गये सहयोग एवं प्रयास से वाद का निष्पादन संभव हो पाया।
सचिव ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनीश कुमार श्रीवास्तव के द्वारा समस्त न्यायिक पदाधिकारियो को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि अगर कोई पुराने वाद में ऐसी परिस्थिति हो जिसमें अभियुक्त, साक्षी उपस्थित न हो रहा हो तो वह न्यायालय जिला विधिक सेवा प्राधिकार से अभियुक्त एवं साक्षी से संबधित अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराने एवं संबधित को वाद की जानकारी देने के लिए तथा अद्यतन वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिए संपर्क स्थापित करते हुए पुराने वादों के निस्तारण की प्रक्रिया को तेज करें।