औरंगाबाद। जिस प्रदेश में रामराज्य की बात की जाती हो। वहां इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस के खिलाफ पुष्पेंद्र यादव के फर्जी एनकाउंटर में हत्या की मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना, यह ना सिर्फ लोकतांत्रिक मूल्यों की हनन है बल्कि सत्ता संरक्षित सफेदपोश पुलिस अधिकारियों एवं सरकार की मिलीभगत को साफ दर्शाता है। यह सरकार के सिस्टम को बेपर्दा करता है।
यह उक्त बातें जिला पार्षद शंकर यादव ने कहा है। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश के अंदर जो हालात है वह आम जनजीवन के लिए बड़ी संकट का विषय है। यहां वर्ग विशेष आधारित आर्थिक और सामाजिक न्याय तय किए जाते हैं। यहां अपराध और हिंसा चरम सीमा पर है। दलितों एवं पिछड़ों के साथ अन्याय हो रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के 5 अक्टूबर 2019 को पुष्पेंद्र यादव की फर्जी एनकाउंटर में पुलिस द्वारा हत्या की गई थी। लेकिन आज तक आरोपी पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। जबकि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश आ चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बताना चाहिए की यह कौन से रामराज्य का परिचायक है। आज जिस प्रकार से प्रदेश के अंदर भय अपराध एवं अनैतिक कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है। वह कितना नैतिक और प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि मृतक पुष्पेंद्र यादव की पत्नी शिवांगी यादव न्याय के लिए दर-दर भटक रही है। वरीय पदाधिकारियों के पास न्याय की गुहार लगाते थक चुकी है। इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश में रामराज्य कायम है।