विविध

ज़िले में भुखमरी व बेरोजारी की गहराती जा रही हैं समस्या

       मजदूर विरोधी है राज्य व केंद्र की मोदी सरकार

मगध हेडलाइंस: औरंगाबाद। प्रत्येक दिन काम की तालाश में औरंगाबाद शहर के जामा मस्जिद के पास हजारों की संख्या में दैनिक मजदूर जिलें के विभिन्न जगहों से यहां पहुंचते हैं जिन्हें कुछ को काम मिलता है तो, कुछ को काम नहीं मिलता है। ऐसे में कई मजदूर है जिन्हें काफी आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ता हैं। अर्थात जिस दिन इन्हें काम नहीं मिलता है, उस दिन खाने पीने की वस्तुओं के लिए भी आफत रहती है। बड़ी मुश्किल से किराया भाड़ा कर आते हैं लेकिन काम नहीं मिलने पर इन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।

नाम न बताने के शर्त पर इन मजदूरों का कहना हैं कि एक तो हमें काम नहीं मिलता हैं दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई से हमारी जिवन सा नर्क बना गई है। सरकार हमारी माली हालत पर विचार करने और महंगाई को काबू करने के बजाए, सुविधाओं का जूठा प्रचार कर रही हैं। सरकार पांच किलों राशन उपलब्ध करवाना ही विकास का प्रयाय और संसाधनों की आपूर्ती समझती है। सरकार कहती हैं मजदूरी कर आत्मनिर्भर बनो, लेकिन ऐसे में समझने वाली बात है, जब काम मिलेगी तब तो? इनकी मांशा कहीं से समाजहित और देशहित में नहीं हैं। इनके अलोकतांत्रिक हरक़तों ने देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर दिया है। सरकार जिस तरह से जनविरोधी नीतियों को बढ़ावा दे रही है। निश्चित ही देश भुखमरी और भयंकर बेरोजारी का शिकार होता जा रहा है।

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