– डी के यादव
मगध हेडलाइंस: कोंच (गया) ताड़ी का पारंपरिक रूप से उत्पादन व बिक्री करने वाले परिवारों को रोजगार मुहैया कराने की राजकीय कवायद जारी है। इसके लिए ऐसे परिवारों का सर्वेक्षण हर पंचायत के गाँव में कराया जा रहा है। इस आशय की जानकारी बीडियो प्रदीप कुमार चौधरी ने दी है। उन्होंने बताया कि इसके लिए पंचायत वार सर्वेक्षण दल का गठन किया गया है। इसमें जीविका मित्र, विकास मित्र व चौकीदार शामिल हैं।विदित हो कि प्रखंड के ग्रामीण इलाके में कई ऐसे परिवार हैं जिनका ताड़ी उतारना और बेचना परंपरागत पेशा है। बताते चलें कि ताड़ी एक मादक पेय है जो ताड़ की विभिन्न प्रजाति के वृक्षों के रस से बनती है तथा ताड़ी अप्रैल माह से जुलाई माह तक ताड़ के पेड़ के फल से विशेष रूप से निकलता है। ताड़ी के सेवन से हड्डियों को मजबूत किया जा सकता है। हड्डियों के घनत्व को बनाये रखने के लिए कुछ विटामिन्स और खनिज पदार्थ की जरूरत होती है। ताड़ी के लिए शाम को 40-50 फीट ऊंचे पेड़ में छेद कर मटकी बांधी जाती है। ताड़ के बूंद-बूंद रस से सुबह मटकी भर जाती है। इस रस को धूप में रखा जाता है, जो धीरे-धीरे नशीली ताड़ी के रूप में परिवर्तित हो जाती है, जबकि ताजी ताड़ी दवा का काम करती है,जिसमें नशा नहीं होता। ताड़ का पेड़ करीब 25 साल में ताड़ी देने लायक तैयार होता है।