
– मिथिलेश कुमार –
औरंगाबाद। किसान की हार न मानने की ज़िद ही उसे जंगजू बनाती है। कुटुंबा प्रखंड क्षेत्र के उत्तर कोयल नहर से दक्षिणी भू-भाग के किसान इसके मिशाल बने हुए हैं। यह भू-भाग विगत कई वर्षों से अनावृष्टि का दंश झेल रहा है। इसके बावजूद उक्त क्षेत्र के किसान प्रकृति के सामने घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं। मटपा पंचायत अंतर्गत पोला गांव के किसान टूटू सिंह ने बताया कि उन्होंने 17 बीघा जमीन में धान की रोपनी कर ली है और बाकी जमीन को रोपाई के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विगत कुछ वर्षों में मानसून की स्थिति को देखते हुए रोहनी नक्षत्र के शुरूआत में ही मोटर से पटवन कर बिचड़ा डाल दिया था, जिसकी नर्सरी आर्द्रा नक्षत्र के प्रारंभ तक तैयार हो गई थी। परंतु वे धान की रोपनी के लिए उचित समय का इंतजार कर रहे थे। इस वर्ष बारिश की शुरुआत अच्छी हुई और खेतों में पानी का जमा होने लगा। तब उन्होंने मोटर चला कर खेत तैयार किया और 17 बीघा जमीन में धान की रोपाई कर ली। हाल के कुछ वर्षों में मानसून के बदलते स्वरूप को लेकर किसान टूटू सिंह की समझ उक्त भू-भाग के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है। अगर किसान रोहनी नक्षत्र में बिचड़ा डाल लें तो बारिश शुरू होते ही धान की रोपाई की जा सकती है। मानसून आने पर बिचड़ा डालने के इंतजार में बारिश का पानी इधर – उधर बह जाता है। बदलते मौसम की समझ किसानों के लिए लाभकारी हो सकती है।