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मनरेगा की दिहाड़ी में भ्रष्टाचार का कोढ़ , आरोप की सुध नहीं लेते अधिकारी

(मिथिलेश कुमार की रिपोर्ट)

मगध हेडलाइंस: अम्बा (औरंगाबाद)। प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मनरेगा के तहत क्रियान्वित योजनाओं में भ्रष्टाचार चरम पर है। जनता रोज नए-नए मामले में शिकायत लेकर प्रखंड कार्यालय पहुंचते हैं। मामले उजागर होने के बावजूद भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से उनका मनोबल बढ़ता जा रहा है।

ऐसा ही एक मामला बैरांव पंचायत अंतर्गत चिल्हियावां गांव की हैं। जहां के विजय यादव ने वृक्षारोपण कार्य में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मैं और मेरी पत्नी दोनों जॉब कार्डधारी हैं। मैंने रोजगार सेवक से वृक्षारोपण की एक यूनिट की देखरेख का काम मांगा जिस पर रोजगार सेवक शेखर गुप्ता ने कहा कि सभी काम करने वाले लोग डिपुट हो चुके हैं। जबकि मेरे वार्ड का एक भी मजदूर काम नहीं कर रहा है जो कार्यरत हैं वह दूसरे पंचायत के मजदूर हैं। मैंने रोजगार सेवक से कहा कि मैं जॉब कार्ड धारी हूं और मुझे भी काम करने का अधिकार है। इतना कहने पर रोजगार सेवक ने गाली-गलौज कर अपमानित किया और कहा कि ज्यादा बोलेगा तो तुम पर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवा कर जेल भेज देंगे। तुम्हें जहां जाना है वहां जाओ सारे मनरेगा अधिकारी हमारी जेब में रहते हैं, क्योंकि हम उन्हें कमीशन देते हैं। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। उन्होंने पंचायत अंतर्गत क्रियान्वित वृक्षारोपण कार्य के जांच की मांग की है।

कार्यक्रम पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विजय यादव के ऊपर रोजगार सेवक ने सिमरा थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई है। इस विषय पर आप सिमरा थाना प्रभारी से भी बात कर सकते हैं। वह काम में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास कर रहा है। कार्यस्थल पर बोरिंग का कार्य किया जा रहा था जिसे उसने रुकवा दिया है। वृक्षारोपण की देखभाल के लिए नियमानुसार कर्मियों को रखा गया है।

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सिमरा थाना प्रभारी ने प्राथमिकी की बात को नकारा : सिमरा थाना प्रभारी संजय कुमार ने फोन से संपर्क करने पर बताया कि मामले में किसी भी प्रकार की प्राथमिकी दर्ज नहीं करवाई गई है। इस तरह की कोई भी घटना हमारे संज्ञान में नहीं है। गौरतलब है कि कार्यक्रम पदाधिकारी कुमार शैलेंद्र के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाने की कही गई बात में कितनी सच्चाई है यह सिमरा थाना प्रभारी के बयान से साफ जाहिर हो जाता है। कार्यक्रम पदाधिकारी अपने कर्मियों और विभाग पर लगाए गए आरोप से इंकार किया हैं जिससे मामला संदेहास्पद हो गया है। सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी जनता की आवाज को इंसाफ मिल पाएगा या भ्रष्टाचार के संरक्षकों द्वारा दबा दी जाएगी।

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