मगध हेडलाइंस

सरकारी उपेक्षा और उदासीन रवैये का शिकार है कोंच का निचली मोरहर नहर

महताब अंसारी

कोंच(गया) प्रखंड का निचली मोरहर नहर सरकारी उपेक्षा और उदासीनता का शिकार है। जिसके चलते लाभान्वित होने वाले किसानों में मायूसी और उदासीनता बरकरार है। ग्राम चतुरी बिगहा निवासी मुकेश कुमार गांधी ने बताया कि सरकार का आना जाना लगा रहता है लेकिन इस नहर का सौभाग्य अभी तक नहीं बदला। जस की तस अपनी बदहाली और बद क़िस्मती पर आँसू बहा रहा है यह नहर ! जी हाँ , आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि कोंच प्रखंड का निचली मोरहर नहर से दर्जनों गाँवों के किसान लाभान्वित होते हैं और सैकड़ो हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है। किसानों का एकमात्र सिंचाई का साधन निचली मोरहर नहर आज अपनी बदहाली और बदकिस्मती पर आंसू बहा रही है। ग्रामीण मनोज मंजिल ने कहा कि सोचा था कोई मिलेगा तारण हार जो हर लेगा किसानों के संकट को लेकिन अफसोस आज भी जस की तस समस्या बरकरार है। किसान बेचारा मजबूर और लाचार है । बताते चलें कि इस नहर से कोंच प्रखंड के खैरा, सीता बिगहा, दिघी, बाली, मठिया, अदई, रजौरा, गोरकट्टी, तरारी, दौलतपुर, मुंडेरा,गोपालपुर, गंगा बिगहा, हुलासगंज, रामपुर, जैतिया, परसावां, चतुरी बिगहा, जगदीशपुर, सतबहिनी, शेख बिगहा,कौड़िया, सुखदेव नगर, कोंच, मोक, मननपुर इत्यादि गावों के किसान लाभान्वित होते हैं। लेकिन विगत कुछ दशकों से इस नहर के प्रति सरकार के उदासीन रवैये से किसान बहुत दुखी और असंतुष्ट हैं। नहर का मेढ़ जहाँ तहां टूटा हुआ है, नहर के बिचली हिसा में गाद भरा पड़ा है। काश – कुश और झाड़ियां उग आयी हैं यानी कहा जाय तो दशकों से इस नहर की मरम्मती और उड़ाही नहीं हो पाई है। जिसके चलते नहर का पानी गंतव्य स्थान पर नहीं पहुच पाता है और यत्र-तत्र बिखर कर बर्बाद हो जाता है। जिससे लाभुक किसान भूमि की सिंचाई से वंचित रह जाते हैं। जिसका असर उनके फसल उत्पादन पर देखने को मिलता है। समय पर पानी नहीं मिलने से फसल मार कर जाती है और मनोनुकूल उत्पादन नहीं हो पाता है। इस क्षेत्र के दर्जनों किसानों से इस संबंध में बात की गई तो लोगों का गुस्सा सरकार के प्रति चरम पर था। किसानों ने गुस्से में बताया कि सरकारी अधिकारी सिर्फ मालगुजारी और नहर रेंट हमलोगों से वसूल करती है लेकिन हमलोगों के सुख सुविधायों का ख्याल नहीं रखती। वहीं , स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति भी लोगों में रोष है। लोगों ने बताया इस पिछड़े प्रखंड में लोगों का आय का मुख्य साधन सिर्फ खेती है लेकिन ससमय सिंचाई उपलब्ध नहीं होने से हमलोगों की फसल मार कर जाती है। जिसके चलते हमलोगों को आर्थिक नुकसान सहना पड़ता है। हमलोग अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं कि वे किसानों के समस्या को सुनें लेकिन इससे पूर्व और वर्तमान प्रतिनिधियों का किसानों के प्रति उदासीन रवैया से हमलोग नाराज हैं। विभागीय उपेक्षा भी नाराजगी का एक मुख्य कारण है। सरकारी आला अधिकारी भी इस मसले पर अपना ध्यान नहीं देते हैं और सिर्फ रेंट वसुली पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं। अभी धान का बिचड़ा बोने का समय है। इस समय पानी की ज्यादा आवश्यकता होती हैं लेकिन नहर के पानी के अपेक्षा किसानों को अपने ट्यूब बेल और पंप सेट पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है। सिर्फ बरसात के दिनों में जब नदी नाले और पूरा क्षेत्र जलमग्न रहता है उस समय कुछ दिनों के लिए बरसाती जल निकासी के लिए इस नहर का प्रयोग होता है यानी दूसरे शब्दों में कहा जाय तो बरसात के पानी की निकासी के लिए ही ये नहर बना है। कुशल जल प्रबंधन और ससमय निगरानी की जाय तो लाभुकों तक इसका कुछ हद तक फायदा पहुँचाया जा सकता है लेकिन सरकारी तंत्र इसपर तत्त्पर रहे तब। अभी वर्तमान में इस नहर के गाद की सफाई, मेढ़ और दोनों छोरो की मरम्मत, जहाँ तहां नाले, पुलिया इत्यादि की आवश्यकता है, जो सरकार चाहे तो समय रहते पुरा कर सकती हैं अन्यथा इस क्षेत्र के किसानों को फिर से वही समस्या का र
ाग अलाप और रोना , रोना होगा।

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