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बुजुर्गों की सेवा से होती हैं, वांछित इच्छाओं की पूर्ति

औरंगाबाद। कर्मा रोड के भास्कर नगर स्थित चित्रा कल्याण केंद्र के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस पर एक सम्मान समारोह सह व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता पुरुषोत्तम पाठक तथा संचालन साहित्यकार धनंजय जयपुरी ने किया। सर्वप्रथम स्वस्तिवाचन के साथ भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की गई। तदुपरांत समाज के दो वरिष्ठ नागरिक रामकृष्ण पाठक ‘खाक’, एवं राम गोविंद मिश्र को पुष्पहार एवं अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया। वक्तव्य की शुरुआत में जवाहर पाठक ने कहा कि जब तक युवा पीढ़ी पूर्वजों द्वारा स्थापित मर्यादा का पालन नहीं करेगी तबतक हमारे बुजुर्गों की हो रही दयनीय दशा में सुधार की कल्पना भी करना बेमानी होगी। शैलेंद्र मिश्र शैल के अनुसार बुजुर्गों के प्रति होने वाले अन्याय और दुर्व्यवहार पर लगाम लगाने के साथ-साथ वृद्ध जनों को उनके अधिकार की प्राप्ति के लिए प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है। राम कृष्ण मिश्र खाक ने कहा कि बुजुर्गों की रक्षा एवं उन्हें अधिकार दिलाने के लिए कई कानून बनाए गए लेकिन धरातल पर इसका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है, जो अत्यंत ही खेद का विषय है। समकालीन जवाबदेही पत्रिका के संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि जिस परिवार के लालन-पालन में व्यक्ति अपनी सारी कामनाओं की बलि चढ़ा देता है, जिसकी खुशियों के लिए अपनी खुशी का त्याग कर देता है, वृद्धावस्था में वही परिवार अपनी मौज मस्ती के चक्कर में उसे दरकिनार कर देता है। यह कृत्य किसी के लिए शुभ-लाभ का दायक नहीं हो सकता। संचालक धनंजय जयपुरी ने कहा कि आज भागदौड़ की दुनिया में कौन किसके साथ होता है। किस्मत वाले हैं वे लोग जिनके सिर पर बुजुर्गों का हाथ होता है। परंतु आज जहां बुजुर्गों की अवहेलना की जाती है, उन्हें तिरस्कृत किया जाता है, मैं तो यही कहूंगा कि उस परिवार में सुख-समृद्धि का स्थायित्व अकल्पनीय है। संस्थापक राम नरेश मिश्र ने अपने वक्तव्य के क्रम में कहा कि हमें एक स्वस्थ एवं सुदृढ़ समाज की रचना के लिए अपने बुजुर्गों के मार्गदर्शन और युवाओं के जोश की आवश्यकता है न कि एक दूसरे को तिरस्कार करते हुए समाज को विखंडित करने की। अध्यक्षीय उद्बोधन में पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि जिस परिवार में बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता उस परिवार में सुख-समृद्धि एवं संतुष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। बुजुर्ग हमारी धरोहर हैं। उनकी सेवा से वांछित इच्छाओं की पूर्ति संभव है। इस अवसर पर सुदर्शन पांडेय अरुण मिश्रा, मोहन पाठक, उज्ज्वल रंजन, सुधीश पाठक, आदित्य कुमार, ललित कुमार, राजेश मिश्रा, सुनील कुमार, गुंजन कुमार राहुल कुमार इत्यादि ने भी अपने- अपने विचार व्यक्त किए।

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