
औरंगाबाद। आज के दिन न्यायिक पदाधिकारियों को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि जो वास्तविक रूप से पीड़ित है उसे न्याय अवश्य मिले। यह उक्त बातें जिला न्यायाधीश रजनीश कुमार श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन कार्यक्रम में कहीं हैं। यह लोक अदालत ज़िला विधिक सेवा प्राधिकार औरंगाबाद के तत्वावधान में शनिवार को आयोजित किया गया। जहां जिला न्यायाधीश ने कहा कि इसमें दोनों पक्ष की जीत होती है। किसी पक्ष का हार नहीं होता है। लोक अदालत में निष्पादन के बाद लोगों में आपसी सौहार्द उत्पन्न होता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि मामलों के निपटारे का यह एक वैकल्पिक माध्यम है। इसे आम बोलचाल की भाषा में लोगों की अदालत भी कहते है। लोक अदालत का आदेश या फैसला आखिरी होता है। इसके फैसले के बाद कही अपील नहीं की जा सकती। इसके माध्यम से दीवानी मामलों, वैवाहिक विवाद, भूमि विवाद, बंटवारे या संपत्ति विवाद, श्रम विवाद आदि गैर-आपराधिक मामलों का निपटारा किया जाता हैं।

उन्होंने कहा कि लोक अदालत में निस्तारण को लेकर 3000 हजार वादों को चिह्नित किया गया है लेकिन इस लोक अदालत में क़रीब 1800 वादों को अब तक निस्तारण किया जा चुका हैं। इस दौरान सभी न्यायिक पदाधिकारियों एवं अधिवक्ताओं के माध्यम से कोशिश रही की, अधिक से अधिक वादों का निष्पादन हो। इस लोक अदालत का विधिवत उद्घाटन कार्यक्रम में जिला न्यायाधीश रजनीश कुमार श्रीवास्तव, जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल, पुलिस अधीक्षक कांतेश कुमार मिश्रा, अपर ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश प्रणव शंकर एवं जिला विधिक संघ के अध्यक्ष राशिक बिहारी सिंह समेत कई अन्य न्यायिक पदाधिकारी संयुक्त रूप से शामिल थे। इस कार्यक्रम का संचलन पैनल अधिवक्ता अभिनंदन कुमार ने किया।