– डी के यादव
जहानाबाद। तीन सूत्री मांगों को लेकर शनिवार को 87 वें दिन भी रूपसपुर पुल पर धरना जारी रहा। हमारे मुख्यमंत्री को सुशासन बाबू और विकास पुरुष की संज्ञा उनके चहेते लोग बहुत ही श्रद्धा से लेते रहे हैं। शायद नीतीश कुमार जी के कार्य अवधि का यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला धरना के रूप में जाना जा सकता है, जैसा की मुख्यमंत्री जी के मानसिकता से प्रतीत होता है।बताना जरूरी है कि यह हालात जहानाबाद जिले के मुरहारा पंचायत के सटे रुपसपुर के बलदइया पुल पर ग्रामीणों ने अपने गांव और पंचायत को पक्कीकरण सड़क से जोड़ने के लिए शनिवार को 87 वें दिन भी अपने मांग पर अडिग है। इस बीच अनेकों विधायक एवं जनप्रतिनिधियों ने हालात का जायजा लिया। अंततोगत्वा जहानाबाद जिला पदाधिकारी भी एक दिन धरना स्थल पर पहुंचे और मुरहारा अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को सुचारू रूप से संचालन करने का आश्वासन देकर घेजन सवैया पैन में सात दिनों के भीतर निर्माण कार्य प्रारंभ करने का भरोसा देते हुए धरनार्थियों से आंदोलन खत्म करने की अपील की थी। जिसपर आंदोलनकारियों ने धरना को जबतक जारी रखने की बात कही जबतक सड़क और पुलिया निर्माण कार्य को शुरू नहीं कर दिया जाता।हालांकि, जिला पदाधिकारी ने जिस समय सीमा के भीतर निर्माण कार्य प्रारंभ करने की बात की थी, वह समय के महीनों दिन बीत गया लेकिन आज तक धरातल पर कोई सकारात्मक उपलब्धि हासिल होता नजर नहीं आता। ताज्जुब तो तब होता है जब स्थानीय विधायक व सांसद भी घड़ियालू आंसू दिखाकर खुद को असहाय और बेचारगी साबित करने लगते हैं। https://youtu.be/ZdcRi5zwfdA जबकि सांसद और विधायक फंड से भी जनता के मांग को कहीं न कहीं पूरा किया जा सकता था। लेकिन इस तरह के इच्छाशक्ति दिखाने का साहस आज तक स्थानीय सांसद एवं क्षेत्रीय विधायक लोग नहीं कर पाये।आखिरकार आम आवाम के हित में स्थानीय जनप्रतिनिधियों का चुप्पी क्यों देखा जा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों के मन में असंतोष फैलना लाजिमी है। समाजसेवी शिवनारायण कुशवाहा ने धरना के दरम्यान बताया। जहां “किसान संघर्ष समिति” सभी साथियों ने भी सरकार के रवैए से काफी नाराजगी जताते हुए अनिश्चितकालीन धरना जारी रखने की चुनौती सरकार और प्रशासन के सामने खड़ी कर दी है। मालूम हो कि वर्षों वर्ष पहले से लोग मखदुमपुर के वाणावर पहाड़ से घुमते हुए लोग पाई विगहा होकर इसी रुपसपुर मुरहारा हमींदपुर के रास्ते अरवल जिले के मानिकपुर मेला जाया करते थे, जहां जानवरों का भारी मेला आज भी लगता है। फिर श्रद्धालु लोग उसी रास्ते से देवकुंड धाम होते हुए महेंदिया के पास मशरमा मेला जाया करते थे जो आज भी मगध क्षेत्र के प्रसिद्ध मेला के तौर पर गिनती की जाती है। कुल मिलाकर यही लगता है कि यदि आंदोलनकारियों की मांग को सरकार मान लेती है तो स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटकों के ख्याल से भी अनेक धार्मिक स्थल और पुराने मेला बाजार को जोड़ पाना बहुत आसान हो जाएगा, जो कहीं न कहीं सरकार को इसका दुरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं। धरना में समाजसेवी शिवनारायण कुशवाहा, रफीगंज से शिक्षक सह समाजसेवी अभय कुमार, महेंद्र कुमार, विश्राम चंद्रवंशी, सुशांत कुमार , रमेशर चंद्रवंशी , युगेश्वर पासवान, शिवभजन पंडित, घुटर राम, रामअवध सिंह, कंचन कुमार, बिजेंद्र कुमार, बृजभूषण समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए।