विविध

शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव का संयुक्त शहादत दिवस का हुआ आयोजन

    – डी के यादव

क्रांतिकारियों के लगेंगे मूर्ति

रफीगंज(औरंगाबाद) शहीद-ए-आजम वीर भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव का आज संयुक्त शहादत दिवस का आयोजन कासमा बाजार स्थित मां द्रौपदी देवी उच्च विद्यालय के शहीद भगत सिंह पार्क के प्रांगण में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत झंडोत्तोलन, शहीदों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित व विचारगोष्ठी के साथ किया गया। झंडोत्तोलन डॉ यदुनंदन मिस्त्री ने की व पुष्पांजलि सर्व प्रथम विद्यालय के निदेशक सूचित मिश्रा ने पुष्प अर्पित कर किया तत्त्पश्चात उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्ति व विद्यालय के शिक्षकों एवं बच्चों ने बारी बारी से किया। इस बीच छात्रों के द्वारा नुक्कड़ नाटक के साथ क्रांतिकारी गीत संगीत पेश किए गए। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि भगत सिंह बचपन से ही नटखट, मेघावी व तीव्र बुद्धि के थे। उनके सरदार किशन सिंह (पिता) एवं विद्यावती (माता) थीं। भगत सिंह को भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है।

 

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वो कई क्रन्तिकारी संगठनों के साथ मिले और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया था। शहीद भगत सिंह ने कहा था देश को एक आमूल परिवर्तन की जरूरत है और जो लोग इस बात को महसूस करते हैं, उनका कर्तव्य है कि साम्यवादी सिद्धांतों पर समाज का पुनर्निमाण करें। जब तक यह नहीं किया जाता और मनुष्य द्वारा मनुष्य का तथा एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र का शोषण, जो साम्राज्यवादी नाम से विख्यात है, समाप्त नहीं किया जाता, तब तक मानवता को उसके दुखों से छुटकारा मिलना असंभव है और तब तक युद्धों को समाप्त कर विश्व शांति के युग का प्रादुर्भाव करने की सारी बातें महज एक ढोंग के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। भगत सिंह एक गंभीर विचारक व एक शानदार बुद्धिजीवी थे। उन्होंने अपनी 23 वर्ष की अल्पायु में ही राजनीति, ईश्वर, धर्म, भाषा, कला, साहित्य, संस्कृति, प्रेम, सौन्दर्य, आत्महत्या और अनेक दूसरे विषयों पर अधिकारपूर्वक अपने विचार व्यक्त किये थे । उन्होंने भारतीय क्रांतिकारी आन्दोलन की फिजाओं में तीन नारे बुलंद किये थे – इन्कलाब जिन्दाबाद, सर्वहारा जिन्दाबाद !, साम्राज्यवाद का नाश हो। पहले नारे के अनुसार – क्रांति तब तक जारी रहेगी जब तक मनुष्य द्वारा मनुष्य का और एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र का शोषण करने वाली व्यवस्था का खात्मा नहीं हो जाता और इसके स्थान पर एक आदर्श समाज व्यवस्था स्थापित नहीं हो जाती। दूसरा नारा यह ऐलान करता है कि भविष्य कोटि – कोटि मेहनतकश जनता का है और वही क्रांति की मुख्य वाहक शक्ति है।तीसरा नारा फौरी कार्यभार का सूचक है। किसी भी गुलाम राष्ट्र के लिए पहली जरूरत साम्राज्यवादी गुलामी के जुए को उतार फेंकने की होती है। भगत सिंह साम्राज्यवाद के पूरे ढांचे को ही उखाड फेंकने के हामी थे। वे साम्राज्यवाद की बेडियों से केवल भारत की ही नहीं, बल्कि पूरी मानव जाति की मुक्ति के तरफदार थे। प्रतिक्षण शहीद भगत सिंह और उनके साथियों की कसौटी पर खरी क्रांतिकारी विचारधारा को आम जनता तक पहुंचाना मौजूदा हालात की फौरी जरूरत है और हमारा सबसे महत्वपूर्ण कार्यभार। शहीद भगत सिंह आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनके विचार और आदर्श आज भी लोगों के ज़ेहन में प्रासंगिक है। वहीं, सूचित मिश्रा ने सत्ता, पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, सहित अन्य विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, दुर्गा भाभी सहित एक अन्य की मूर्ति का निर्माण कासमा में कराया जाएगा। मौके पर जगदीश यादव उर्फ मास्टर साहब, स्नेहलता, सच्चिदानंद मिश्रा, चंदन मिश्रा, सुधीर मिश्रा, एल के बिंदु, अनिल पाल सहित सैंकड़ो छात्र व छात्राएं शामिल रहे।

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