मगध हेडलाइंस: भूमि सर्वेक्षण को लेकर कई तरह तरह के सवाल और आशंकाएं उत्पन्न हो रही हैं। इसको लेकर रैयत काफी असमंजस की स्थिति में हैं। रैयतों के सवालों और आशंकाओं के मद्देनजर रविवार को औरंगाबाद शहर के शुभम इंटरनेशनल होटल में जागा किसान भू-सर्वेक्षण परिचर्चा का अयोजन किया गया। परिचर्चा की अध्यक्षता भाजपा नेता अनिल सिंह ने किया। इस दौरान सौकडों की संख्या में किसान मौजुद रहे। परिचर्चा में भूमि सर्वें में किसानों को आने वाली समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई। भाजपा नेता अनिल सिंह ने कहा कि बिहार में जमीन का विवाद एक बड़ा कारण जमीन के पुराने रिकॉर्ड से हैं। पहले उसे दुरूस्त करने की आवश्यकता है। हालांकि इस सर्वेक्षण से भूमि संबधित समस्या का समाधान निकलने की उम्मीद है। इस दौरान किसानों की शिकायत है कि भूमि सर्वेक्षण में भारी गड़बड़ी हो रही है और सही ढंग से सर्वे नहीं हो रहा है। कर्मियों के नियमित कार्यालय नहीं आने से उनकी परेशानी बढ़ी है। उन्होंने भूमि सर्वे का समर्थन करते हुए कहा कि इस सर्वेक्षण का मकसद जमीन के पुराने नक्शे और खतियान को अपडेट करना है। लेकिन किसानों को लगता है कि क्या करें, किससे पूछे, क्या कागजात लगेंगे, रैयत को क्या करना होगा, उन्हें क्या फायदे होंगे? ऐसे कई अनगिनत सवाल उठ रहे हैं। इधर लोग जमीन सर्वे के लिए जरूरी कागजात इकट्ठा करने में जुटे हैं, लेकिन भूमि सर्वे के पूर्व कागजात तैयार करने में किसानों और जमीन मालिकों के पसीने छूट रहे हैं। एक नई समस्या सामने आ रही है। लोग जमीन का रसीद कटवाने में बेहाल हैं तो सैकड़ों किसानों का जमीन दाखिल खारिज के मामले में अटका है। सर्वे के लिए सरकार स्वघोषित वंशावली मांग रही है। पाटीदार में बंटवारे को लेकर वंशावली तैयार करना भी जरूरतमंदों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अगर अधिकारी सर्वे में किसानों को मदद नहीं करते हैं तो वे लोग सरकार और हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगाएंगे। इसके लिए जनहित याचिका दायर की जाएगी। किसानों ने कहा कि सर्वे कार्य का एकजुट होकर तब तक विरोध करेंगे जब तक अधिकारी सर्वे कार्य में सकारात्मक सहयोग नहीं करेंगे। इस परिचर्चा में अधिवक्ता सिद्धेश्वर विद्यार्थी, आलोक सिंह, पैक्स अध्यक्ष उपेन्द्र यादव एवं दीपक सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।
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