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विशेष रूप से यादव समाज मनाता है छोटी दीपावली, इसके अलग-अलग हैं पौराणिक मान्यता 

औरंगाबाद। आम जन जीवन में धार्मिक मान्यताओं का विशेष महत्व है। चाहे वह जिस वर्ग समुदाय से जुड़ा हो। आज छोटी दीपावली हैं जिसे धूमधाम से मनाया जा रहा हैं। यह उक्त बातें ज़िला पार्षद शंकर यादव व राजद ज़िला प्रवक्ता डॉ रमेश यादव ने कहा है। उन्होंने कहा कि छोटी दीपावली के पिछे अलग-अलग मान्यताएं हैं, जिसे विशेष रूप से यादव समाज यह त्योहार मनाता है। इसके पीछे पौराणिक मान्यता हैं कि इस परंपरा की शुरूआत आदि काल में हुई थी जो यह आज भी चली आ रही है। इसके पीछे तार्किक व पौराणिक मान्यता यह भी है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसमें पशुपालन को कृषि से संबंधित माना जाता हैं। पशुपालकों द्वारा पशुओं को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है जिसमें पशुपालन से जुड़ा यह समाज अपने गायों व अन्य जानवरों के गौशाला व खूटों के पास छोटी दीपावली के दिन दीपक जलाते हैं।
वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवन श्रीकृष्ण को अपना पूर्वज मानने वाले इस समाज ने परंपरा की शुरुआत तब किया जब नरकासुर नामक एक राक्षस का भगवान श्रीकृष्ण ने वध किया था जिसमें कहा जाता है कि उस राक्षस ने अपनी शक्ति का गलत दुरुपयोग करके 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। इसके बाद सभी बंदी स्त्रियों ने राक्षस के अत्याचार से परेशान होकर मदद के लिए भगवान कृष्ण को पुकारा। उन्हें राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। नरकासुर के आंतक से बंदी स्त्रियों समेत तमाम देवताओं और संतों को भी छुटकारा मिल गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इन सभी स्त्रियों को समाज में सम्मान और मान्यता दिलाने के लिए भगवान कृष्ण ने सभी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। वहीं नरकासुर के वध की खुशी में लोगों ने अपने घर में दीपक जलाए।

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