
देश सरकारी तालिबानियों के हैं कब्जे में: यादवेन्दू
औरंगाबाद। हरियाणा के करनाल जिले में आंदोलनकारी किसानों पर शनिवार को हुए पुलिस के लाठीचार्ज में एक किसान सुशील काजल की मौत की खबर के बाद देश भर के किसानों व आम जनता में गुस्सा है। किसान यूनियन जहां इसके विरोध में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन व आक्रोश व्यक्त कर रही हैं वहीं एसडीएम आयुश सिन्हा और किसानों को मारने का आदेश देने वाले अधिकारियों के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज करने की मांग की जा रही है।
इसी सिलसिले में जिला पार्षद शंकर यादवेन्दू ने कहा है कि अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने दावा किया है कि करनाल में हुए लाठीचार्ज के बाद एक किसान की मौत हो गई है। किसान का नाम सुशील काजल है। जबकि हरियाणा पुलिस इस बात से इंकार कर रही है कि पुलिस के द्वारा किसी की हत्या नहीं हुई हैं जबकि यह हकीकत हैं कि करनाल के ड्यूटी मजिस्ट्रेट और करनाल के एसडीएम आयुश सिन्हा का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो साफ़तौर पर मौजूद पुलिस को कहते दिख रहे हैं कि “उठा-उठाकर मारना पीछे सबको। हम उन्हें सुरक्षा घेरे को लांघने नहीं देंगे। हमारे पास पर्याप्त सुरक्षा बल है। श्री यादवेन्दू ने कहा कि इस तरह किसानों पर लाठीचार्ज करके सरकार क्या साबित करना चाह रही है। इस घटना से साफ़ जाहिर होता है कि देश में सरकारी तालिबानों का कब्ज़ा हो चुका है जिस प्रकार से पुलिसिया लाठीचार्ज में कई किसानों के सिर फूटे, खून बहा और कई किसानों की हड्डी टूटी हैं। वहीं पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए किसान खेतों में भाग गए, लेकिन हरियाणा सरकार की पुलिस ने किसानों पर कोई रहम नहीं किया और दौड़ा दौड़ा कर पीटा हैं। वह मजाक है क्या? श्री यादवेन्दू ने कहा कि जुल्मी कब तक जुल्म करेगा सत्ता के हथियारो से, जर्रा जर्रा गूँज उठेगा इंक़लाब के नारों से। सरकार और पुलिस प्रशासन के द्वारा आयोजित इस हत्या का हिसाब लिया जाएगा। उन्होंने एसडीएम और किसानों को मारने का आदेश देने वाले अधिकारियों के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज करने की मांग किया है।