
औरंगाबाद। कृषि विज्ञान केन्द्र औरंगाबाद द्वारा सोमवार को जलवायु अनुकूल कृषि प्रणाली विषय पर वैज्ञानिक कृषक समागम का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन जिला कृषि पदाधिकारी रणवीर सिंह, परियोजना निदेशक आत्मा सुधीर कुमार राय, सहायक निदेशक उद्यान आलोक कुमार एवं वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान कृषि विज्ञान केन्द्र सिरिस के डॉ. नित्यानन्द ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस टॉलरेंस के नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन करते हुये प्रधानमंत्री, भारत सरकार नरेंद्र मोदी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित की गई विभिन्न जलवायु अनुकूल फसलों की 35 विशेष किस्में राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन एवं कुपोषण की दोहरी चुनौतियों से निपटने पर विशेष जोर दिया साथ ही मोटे अनाजों जैसे-सामा, कोदो, ज्वार, बाजरा, मडुआ आदि खादय फसलों के उत्पादन एवं भोजन का अंग बनाने पर जोर दिया। इस अवसर पर कृषि मंत्री, भारत सरकार नरेन्द्र सिंह तोमर नें किसानों को संबोधित करते हुये किसानों की आय दोगुनी करने एवं उत्पादन लागत को कम करने पर विशेष जोर दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये जिला कृषि पदाधिकारी ने फसल में पोषक तत्व का समुचित प्रयोग पर जोर दिया। परियोजना निदेशक आत्मा ने धान-गेहूँ के साथ पशुपालन पर जोर देते हुये कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिये पशुपालन एक अहम व्यवसाय है जिसे अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। सहायक निदेशक, उद्यान, औरंगाबाद में सब्जी एवं फुल की खेती पर जोर देते हुये कहा कि परंपरागत सब्जी की खेती करने से किसानों को कई बार नुकसान का सामना करना पड़ता है। अतः इससे बचने के लिये नेट हाउस, पॉली हाउस में अगेती सब्जी की खेती कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण ने कृषि में छोटे यंत्रों के समायोजन पर जोर देते हुये जीरोटिलेज, बेड प्लान्टर, रीपर आदि का प्रयोग कर किसान अपनी लागत को कम कर सकते हैं और अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। तत्पश्चात तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुये प्रधान कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक ने जलवायु के अनुरूप कृषि तकनीकी प्रजाती एवं प्रबंधन पर जोर देते हुये किसानों से कहा कि किसान समय पर कृषि क्रियायें को कर अपने संसाधन का समुचित प्रयोग कर सकते हैं एवं उत्पादन लागत को कम कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कुपोषण को दूर करने के लिये फोर्टीफाइड प्रजाती के धान, गेहूँ आदि की प्रजाती का खेती कर अधिक पोषण एवं गुणवत्तायुक्त खाद्य पदार्थ का उत्पादन करें एवं भोजन का अंग बनायें। डॉ. सुनीता कुमारी, विषय वस्तु विशेषज्ञ (गृह विज्ञान) ने महिलाओं को अपने घर के बगल में पोषणवाटिका लगाने को आवाहन किया। उन्होंने कहा कि पोषणवाटिका में विभिन्न प्रकार के फल, सब्जी, साग आदि को लगायें एवं उसे भोजन के रूप में प्रयोग करें जिससे बच्चों एवं महिलाओं को कुपोषण से बचाया जा सकेगा। कार्यक्रम का संचालन श्री दिनेश कुमार, कार्यक्रम सहायक (प्रयोगशाला तकनिशिन) ने किया। इस अवसर पर श्री किशलय कुमार प्रभाकर ने सूचना प्रौद्योगिकी का कृषि तकनीकी प्रसार कार्य में भूमिका को प्रत्यक्ष रूप से परिलक्षित किया। इस कार्यक्रम में जलवायु अनुकूल प्रणाली परियोजना अन्तर्गत चयनित ग्राम-करहरा, तेंदुआ, राजपुर, ईबनपुर एवं चौरिया के सैकड़ों किसान एवं जीविका के विभिन्न समूह के कृषक महिलाओं ने कार्यक्रम में भाग लिया एवं क्रॅप योजना अन्तर्गत केन्द्र पर लगाये प्रत्यक्षण इकाई का अवलोकन किया। इस कार्यक्रम में 350 से अधिक किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन गणेश प्रसाद, सहायक, कृषि विज्ञान केन्द्र, औरंगाबाद द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अरविन्द कुमार, राकेश कुमार, रूपम कुमारी, आनन्द कुमार, चन्दन कुमार, दीपक कुमार, लवकश कुमार एवं विभिन्न विश्वविद्यालय से आये रावे छात्रों ने भाग लिया।