राजनीति

डायरिया से दो बच्चों की मौत पर सदर अस्पताल पहुंचे प्रमुख समाजसेवी 

औरंगाबाद। औरंगाबाद जिलें के सदर अस्पताल में शनिवार को डायरिया के कारण दो बच्चों की मौत हो गई जिसकी सूचना पाकर रफीगंज के पूर्व विधान सभा प्रत्याशी सह प्रमुख समाजसेवी प्रमोद कुमार सिंह सदर अस्पताल पहुंचे और पीड़ीत परिजनों से मुलाकात की। इस दौरान अस्पताल में व्याप्त लचर व्यवस्था को देख कर श्री सिंह ने सिविल सर्जन से संपर्क करने का प्रयास किया लेकीन उनका फ़ोन बंद था। इसके बाद उन्होंने जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल को फोन लगाया और संबंधित जानकारी दी जिसमें जिलाधिकारी ने सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। इस मामले में प्रमोद कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि मदनपुर प्रखंड के खिरियावां पंचायत के 3 गांव ऐसे हैं जहां डायरिया कहर बरपा रही है। स्थिति यह है कि डायरिया के कारण अब तक 2 बच्चों की मौत हो चुकी है और 40 से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। लेकिन इसका सुध लेने वाला कोई नहीं है। इस बीमारी का इलाज मदनपुर स्वास्थ्य केंद्र में न होने के कारण कुछ लोग औरंगाबाद सदर अस्पताल में हैं, तो कुछ लोग गया जिले के अस्पतालों में जैसे-तैसे इलाज करवा रहे हैं। मदनपुर स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति यह है कि रात होते ही पीएचसी में ताला लगा दिया जाता है। कोई भी मरीज रात में इलाज कराने पहुंचते हैं तो उन्हें न ही डॉक्टर मिलते हैं न ही एएनएम। श्री सिंह ने बताया कि सूचना पर जब मैं सदर अस्पताल पहुंचा तो देखा कि शहीद बिगहा निवासी रामबरत भुइयां की पुत्री रेशमा कुमारी (14 वर्ष ) का शव पड़ा हुआ है, वही उसका भाई डायरिया से ग्रसित है। इसके अलावा नत्थू बिगहा के रौशन कुमार की मौत बीमारी के कारण हो चुकी थी। लेकिन अस्पताल की व्यवस्था देख कर हमसे रहा नहीं गया और हमने नर्स एवं डॉक्टर से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन इस दौरान नहीं हो सका। इसी क्रम में एक एनएम के द्वारा अस्पताल मैनेजमेंट की देखरेख कर्ता हेमंत का नंबर मिला और उससे बात हुई तो वह झूठ पर झूठ बोले जा रहा था। अस्पताल में मरीजों के बेड पर चादर के अलावे कई मेडिकल सुविधाओं का अभाव था बावजूद वह होने का दावा कर रहा था। अर्थात झूठ पर झूठ बोले जा रहा था। श्री सिंह ने बताया कि मरीजों के बेड पर केवल सलाइन लटका हुआ था जबकि इस दौरान एक भी नर्स या डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे। यहां तक की अधीक्षक भी अनुपस्थित थे। हालांकि इसकी सूचना हमने मदनपुर वीडिओ को देनी चाही लेकिन दुर्भाग्य से उनका भी नंबर बंद था। गौरतलब है कि इस बीच प्रखंड मुख्यालय के मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर खिरियावां पंचायात है, जहां अब तक 2 बच्चों की मौत डायरिया से हो चुकी है लेकिन वीडिओं को इस बात की खबर तक नहीं है। लेकिन थोड़ी देर बाद सिविल सर्जन का फोन आया तो उन्होंने बताया कि मैं उस गांव में मेडिकल टीम भेज रहा हूं। हमने उन्हें बताया कि इस पंचायत के 3 गांव डायरिया से प्रभावित है जिसमें केवल एक मेडिकल टीम से इस बीमारी की यथास्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है इसके लिए जिला मुख्यालय से अन्य टीम गठित कर गांव में कैंप लगाकर, यहां के लोगों को विधिवत इलाज किया जाए ताकि जल्द से जल्द इस बीमारी से लोगों को निजात मिल सके। श्री सिंह ने बताया कि मांग किया है कि यहां घर-घर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव तथा मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध की जाए ताकि इस बीमारी से लोगों को जल्द निजात पाया जा सके। इस बीमारी से पीड़ित लोग अधिकांश दलित परिवार से संबंधित है जो काफी गरीब हैं। इलाज कराने में ये सभी असमर्थ है। इन परिस्थितियों में उन्हें तत्काल मेडिकल की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है। बिहार बेरोजगारी का केंद्र बन गया है। कोरोना काल में सबसे ज्यादा पलायन बिहार से हुआ है। यहां शिक्षा स्वास्थ और रोजगार की भारी अभाव है। जनता भूख स
े मर रही है जबकि सरकार महंगाई बढ़ाये जा रही हैं। उन्होंने गरीबी, अपराध, उग्रवाद और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। कहा है कि सरकार शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर बड़े-बड़े दावा करती है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है। सरकार जहां विश्व गुरु बनने की बात करती है, वही आज इस डिजिटल युग में डायरिया जैसे बीमारी से बच्चों की मौत होना, बड़ी चिंता का विषय है। यह केवल दावे और वादे की सरकार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please remove ad blocer